विक्रेताओं का दावा है कि जब तक व्यक्तिगत संपर्क विवरण प्रदान नहीं किया जाता तब तक वे बिल नहीं बना सकते।
नयी दिल्ली:
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने आज कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने परामर्श जारी कर खुदरा विक्रेताओं को कुछ सेवाएं देने के लिए ग्राहकों के व्यक्तिगत संपर्क विवरणों पर जोर नहीं देने का निर्देश दिया है।
उपभोक्ताओं की कई शिकायतों के बाद एडवाइजरी जारी की गई है। उन्होंने कहा कि ग्राहकों ने कई खुदरा विक्रेताओं के बारे में शिकायत की है कि अगर वे अपना संपर्क नंबर साझा करने से इनकार करते हैं तो वे उन्हें सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं।
सचिव ने संवाददाताओं से कहा, “विक्रेताओं का कहना है कि जब तक व्यक्तिगत संपर्क विवरण प्रदान नहीं किया जाता है, तब तक वे बिल नहीं बना सकते हैं। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत एक अनुचित और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथा है और जानकारी एकत्र करने के पीछे कोई तर्कसंगतता नहीं है।”
गोपनीयता की चिंता भी है। इसलिए, उपभोक्ताओं के हित में इस मुद्दे को हल करने के लिए खुदरा उद्योग और उद्योग मंडल सीआईआई और फिक्की को एक परामर्श जारी किया गया है।
भारत में ग्राहकों के लिए बिल जनरेट करने के लिए रिटेलर को अपना मोबाइल नंबर देना अनिवार्य नहीं है। हालांकि, खुदरा विक्रेताओं द्वारा लेन-देन पूरा करने के लिए एक नंबर पर जोर देने से ग्राहकों को एक अजीब स्थिति में डाल दिया जाता है। अधिकांश समय, ग्राहकों को इनमें से कई स्थितियों में ऑप्ट आउट करने का विकल्प नहीं दिया जाता है।
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